Rekha mishra

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लेखनी कहानी -31-Jan-2022

        कामयाबी का मज़ा 

कामयाबी का मज़ा तभी है दोस्त 
जब जलने वालों की लंबी कतार हो। 
तुम खड़े हो अकेले लड़ने को, 
और लड़ने वाले हजार हो। 
सुकून उसमे नहीं की बैठे बैठे ही 
मंज़िल मिल गई। 
मज़ा तब है जब मुश्किलें 
भी हजार हो। 
फिर जो हांसिल की मंज़िल 
तो मंजर ही कुछ ओर होगा 
फिर तुम्हारे ही नाम 
का डंका चारों ओर होगा। 
सोचा लोगों का  सिर्फ दिन होता है 
फिर तुम्हारा एक दौर होगा। 

By-Rekha mishra 

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1 Comments

Swati chourasia

31-Jan-2022 02:26 PM

Very nice 👌

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